Sunday, 1 January 2017

बचपण

काश बचपन आज लोटकर आजाये" वो दोस्त दोस्ती सब आपना ना कोई पराया होताथा----! कुछ तितली कि तरह ऊडता हुआ बचपन --!! गाँव की हर गलियों मे फुल की तरह खिलता हुआ बचपन -- वो भवरो की तरह झुमता हुआ बचपन --! कुछ थड मे सूरज की किरणों मे धूप सेकता हुआ बचपन --!! कुछ बारिश के पानी मे नदियों कि तरह बहता हुआ बचपन --! कुछ पतियों की तरह झिलमिलाता थासा बचपन --!! कुछ मकडीके जालो मे उलजकर फसाहुआ बचपन --! कुछ लकड़ी को आग लगाकर थड को दुर भगाता हुआ बचपन --!! कागज़ के फूल बनाकर ऊसमे खुशबू धुडता हुआ मासूम बचपन ---! माँ बाप की तरह हर गांव वोलो को अपना मानता हुआ बचपन ---!! काश बचपन आज फिर लोट कर आ जाये ---!!! यादों मे आज बचपन , आजकल के बचो का खो गयाहै बचपन जमाना बदल गया बदल गया हे बचपन !!!! ***************सूरजकुमारी गौरीशकर गोस्वामी ****** Shared with https://goo.gl/9IgP7

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